गूगल पर 34 हजार करोड़ रु. का रिकॉर्ड जुर्माना लगा

Thu 19-Jul-2018 11:02 am
ईयू का आरोप- गूगल ने फोन में अपने एप डलवाने के लिए कंपनियों को मजबूर किया

ब्रसेल्स | गूगल पर यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने बुधवार को करीब 34,000 करोड़ रुपए (5 अरब डॉलर) का रिकॉर्ड जुर्माना लगाया। तीन साल जांच के बाद ईयू ने गूगल को प्रतिस्पर्धा के नियम तोड़ने का दोषी पाया। जुर्माने की राशि 2017 में शॉपिंग कंपेरिजन सर्विस के लिए गूगल पर लगाए गए फाइन (16,000 करोड़ रुपए) से दोगुनी भी ज्यादा है।

मोबाइल कंपनियों को पैसे देने का आरोप
यूरोपियन कॉम्पटीशन कमीशन का कहना है कि गूगल सर्च और कंपनी की दूसरी डिवाइस प्री-इन्स्टॉल करने वाली मोबाइल कंपनियों को गूगल पैसे देता है। उसने एंड्रॉयड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम और एप्स पर एकाधिकार जमा रखा है।

यूरोपियन यूनियन ने गूगल पर 5 अरब डॉलर का भारी-भरकम जुर्माना लगाया है। आरोप है कि गूगल ने अपने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम की एकाधिकार जैसी स्थिति का दुरुपयोग किया। ईयू के इतिहास में किसी कंपनी पर यह सबसे बड़ा जुर्माना है।

गूगल प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी इस फैसले को चुनौती देगी। एंड्रॉयड 2007 में फोन निर्माताओं और ऑपरेटर्स के लिए एंड्रॉयड मुफ्त किया था। हर साल बिकने वाले 80% स्मार्टफोन एंड्रॉयड आधारित हैं।

ईयू की प्रतिस्पर्धा कमिश्नर मार्गरेथे वेस्टेजर ने 3 साल की जांच के बाद बुधवार को फैसला सुनाया। अप्रैल 2015 में माइक्रोसॉफ्ट, नोकिया और ओरेकल जैसी कंपनियों के संगठन फेयरसर्च ने शिकायत की थी। प्रतिस्पर्धा केस में ईयू का पहला बड़ा जुर्माना 2004 में माइक्रोसॉफ्ट पर 4,000 करोड़ का था।

वेस्टेजर ने कहा कि गूगल का रवैया प्रतिस्पर्धा नियमों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि ईयू के बजट में सदस्य देश जितना पैसा देते हैं, उसी अनुपात में जुर्माने की रकम उन्हें दी जाएगी। क्या इस फैसले से फोन की कीमत बढ़ेगी, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि गूगल के पास एंड्रॉयड से कमाने के और भी तरीके हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एंड्रॉयड फोन इस्तेमाल करने वाले मौजूदा यूजर्स के लिए कुछ नहीं बदलेगा।

क्या हैं आरोप- गूगल सर्च पहले इंस्टॉल करने के बदले पैसे दिए
गूगल ने दक्षिण कोरिया की सैमसंग और चीन की हुवावे समेत सभी प्रमुख फोन और टैबलेट निर्माताओं को अपना सर्च इंजन और गूगल क्रोम ब्राउजर इंस्टॉल करने के लिए मजबूर किया। इसके बिना वे गूगल प्ले स्टोर का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे।

कुछ एप के लाइसेंस के बदले उनसे गूगल सर्च को बतौर डिफॉल्ट सेट करने के लिए कहा। इससे यूरोप के बाजार में गूगल का दबदबा बढ़ा। फोन में गूगल सर्च पहले से इंस्टॉल करने वाले निर्माताओं और टेलीकॉम कंपनियों को इसने पैसे भी दिए। इसने फोन मेकर्स को ऐसे कॉन्ट्रैक्ट के लिए मजबूर किया जिससे वे एंड्रॉयड ओपन सोर्स कोड आधारित दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम के फोन ना बेच सकें।

गूगल के ऐसा करने से दूसरी कंपनियों के लिए मौके कम हुए। यह 2011 से मजबूत स्थिति का गलत इस्तेमाल कर रही है। जुर्माना भी तभी से जोड़ा गया है।

यूरोप में गूगल का बिजनेस
74% हिस्सेदारी एंड्रॉयड फोन की स्मार्टफोन मार्केट में
97% मार्केट शेयर है मोबाइल फोन पर सर्च इंजन में
64% बाजार हिस्सेदारी है इसके क्रोम वेब ब्राउज़र की
रूस में गूगल ने दूसरा विकल्प दिया तो घट गया था मार्केट शेयर

रोज के टर्नओवर के 5% के बराबर पेनाल्टी
गूगल को 90 दिनों का वक्त दिया गया है। इस दौरान कंपनी ने बिजनेस का तरीका नहीं बदला तो रोज के औसत टर्नओवर के 5% के बराबर पेनाल्टी लगेगी।

क्या भारत में भी गूगल पर जुर्माना लगाया जा सकता है?
भारत में गूगल पर जुर्माने का सवाल तब पैदा होगा जब कोई दूसरी कंपनी प्रतिस्पर्धा आयोग जैसी एजेंसी में गूगल के एकाधिकार के खिलाफ शिकायत करेगी।

Related Post