उत्पन्ना एकादशी 2018 - पूजा/व्रत की विधि और कथा का महत्व

Sun 02-Dec-2018 6:57 pm
भगवान विष्णु के शरीर से हुआ था एकादशी का जन्म, जानें व्रत की विधि और महत्व

उत्पन्ना एकादशी में भगवान विष्णु और एकादशी माता की पूजा की जाती है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष के दिन उत्पन्ना एकादशी होती है। मान्यता है कि इसी दिन देवी एकादशी का जन्म हुआ था। इस व्रत को करने वाला साधक दिव्य फल प्राप्त करता है और व्रत से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। 2018 उत्पन्ना एकादशी का व्रत 3 दिसंबर को है।

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा
मान्यता है कि मुर नामक असुर से युद्घ करते हुए जब भगवान विष्णु थक गए तब बद्रीकाश्रम में गुफा में जाकर विश्राम करने लगे। मुर भगवान विष्णु का पीछा करता हुए बद्रीकाश्रम पहुंच गया। निद्रा में लीन भगवान को असुर ने मारना चाहा तभी भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी का जन्म हुआ और इस देवी ने असुर मुर का वध कर दिया।

देवी के कार्य से प्रसन्न होकर विष्णु भगवान ने कहा कि देवी तुम्हारा जन्म मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को हुआ है इसलिए तुम्हारा नाम एकादशी होगा। आज से प्रत्येक एकादशी को मेरे साथ तुम्हारी भी पूजा होगी। जो भक्त एकादशी का व्रत रखेगा वह पापों से मुक्त हो जाएगा।

पूजन / व्रत विधि
उत्पन्ना एकादशी व्रत वाले दिन प्रात:काल नित्यकर्म करने के बाद भगवान का पूजन करें एवं व्रत कथा सुनें। आठों पहर निर्जल रहते हुए भगवान विष्णु के नाम का स्मरण एवं जप करें। इस पावन दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ विशेष रूप से करें। श्रद्धा भाव के साथ इस व्रत को करते हुए द्वादशी के दिन सुबह किसी ब्राह्मण या निर्धन व्यक्ति को भोजन करवाकर उचित दान-दक्षिणा देकर इस व्रत का पारण करना चाहिए। मान्यता है कि जो पुण्य सोने, भूमि, गाय, कन्यादान आदि से होता है, उससे कहीं अधिक पुण्य एकादशी व्रत रखने से प्राप्त होता है।

पूजन मंत्र:
॥ॐ मुरा-रातये नमः॥

उत्पन्ना एकादशी पर जरूर करें ये काम

  • उत्पन्ना एकादशी से एक दिन पहले दशमी के दिन व्यक्ति को सात्विक आहार लेना चाहिए।
  • उत्पन्ना एकादशी में स्नान का विशेष महत्व है व्रत संकल्प स्नान के बाद ही लें।
  • संध्याकाल में दातौन करके पवित्र होना आवश्यक है।
  • उत्पन्ना एकादशी की दशमी को व्रत के लिए दातौन के बाद रात्रि में कुछ भी खाने की मनाही है।
  • उत्पन्ना एकादशी पर व्यक्ति पू्र्णत: शुद्ध हो जाता है इसलिए भगवान के स्मरण करते हुए सोना चाहिए।
  • सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें और निर्जला व्रत रखें।
  • उत्पन्ना एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • उत्पन्ना एकादशी पर एकादशी माता की पूजा करें, आरती पाठ से माता प्रसन्न होती हैं।
  • पूजा में धूप, दीप आदि सामग्री से भगवान विष्णु को प्रसन्न करें।
  • उत्पन्ना एकादशी व्रत के दिन सात्विक भोजन के साथ सात्विक विचार भी आवश्यक हैं।
  • बुरी संगत से बचें, मदिरा, मांस गाली गलौच से दूर रहें।
  • रात्रि के समय दीपदान करना अनिवार्य है।
  • व्रती व्यक्ति कीर्तन या जागरण करवाए।
  • उत्पन्ना एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति हजारों यज्ञों का पुण्य कमाता है।
  • उत्पन्ना एकादशी का व्रत से मोक्ष प्राप्ति होती है।

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