तीसरी-चौथी लाइन के लिए ग्वालियर में आरआरआई केबिन टूटेगी

Sat 19-Jan-2019 2:48 pm
झांसी से मथुरा तक चौड़ीकरण के कारण होना है काम; ग्वालियर में बढ़ेंगे दो नये प्लेटफॉर्म

ग्वालियर: झांसी से मथुरा के बीच में तीसरी लाइन के साथ चौथी लाइन लिए कई छोटे- बड़े स्टेशनों के नजदीक जमीन समतल करने के बाद अब काम की गति तेज हो गई है। इस काम के चलते ग्वालियर रेलवे स्टेशन के पड़ाव पुल के पास बना आरआरआई (Route Relay Interlocking) केबिन को तोड़ने के साथ प्लेटफॉर्म चार पर दो नए प्लेटफॉर्म बढ़ाने का काम भी जल्द ही शुरू होगा।

इसके लिए इन दिनों रेल विकास निगम कंपनी के इंजीनियरों की देखरेख में प्लेटफॉर्म चार के लिए जमीन नापने का काम किया जा रहा है। प्लेटफॉर्म चार पर एक प्लेटफॉर्म तो प्रथम चरण में ही बढ़ जाएगा। सूत्रों के अनुसार प्लेटफॉर्म न. 4 की लम्बाई बढाकर झाँसी और पुरानी दिल्ली की तरह एक ही प्लेटफार्म पर दो प्लेटफार्म (4 व 5) होंगे| वहीं प्लेटफॉर्म 6 और 7 बनाने के लिए छोटी लाइन को कुछ शिफ्ट करने पर चर्चा की जा रही है। झांसी से मथुरा तक इस काम को दो कंपनी काम कर रही है।

मैकेनाइज्ड लाउंड्री के पास बनेगी आरआरआइ केबिन

पड़ाव पुल के पास बनी आरआइआई केबिन को तोड़ने के बाद ताज साइडिंग में मैकेनाइज्ड लाउंड्री के आसपास जमीन की तैयारी हो गई है। यहां पर एक तीन मंजिला इमारत बनाने की प्लानिंग भी की गई है। इसके बनने के बाद RRI केबिन को हटाया जाएगा।

बिरला नगर स्टेशन पर भी दिखने लगा काम बिरला नगर

ग्वालियर के दूसरे प्रमुख स्टेशन विकसित करने के हिसाब से बिरला नगर पर भी काम इन दिनों दिखने लगा है। यहां पर प्लेटफॉर्म दो-तीन पर प्लेटफॉर्म को उठाने का काम किया जा रहा है। इससे ट्रेनों में यात्री को बैठने और उतरने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। वहीं यात्रियों के लिए शेड और फुटब्रिज के साथ दो लाइन निकाली जाएगी

तीसरी लाइन का काम अब दिखने लगा है। इसके लिए कई छोटे ब्रिज को बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। वहीं ग्वालियर स्टेशन के आसपास आरआरआई केबिन के दुटने के नए प्लेटफॉर्म के निर्माण कार्यों का काम भी जल्दी शुरू होगा। ग्वालियर से रायरू तक तीसरी और चौथी लाइन उपयोग ग्वालियर-कोटा लाइन के लिए भी किया जायेगा|
अतुल निगम, चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर

अभी ये समस्याएं

  • मथुरा-झांसी-बीना लाइन पर मथुरा से झांसी के मध्य 15 प्रतिशत और झांसी बीना के मध्य 25 प्रतिशत ओवर ट्रैफिक है।
  • ओवरलोड होने के कारण आए दिन ट्रेनें लेट हो जाती हैं, क्योंकि पहले प्रमुख ट्रेनों को पहले रास्ता देना जरूरी होता है।
  • इन रूटों पर लोड को देखते हुए नई ट्रेनों की जरूरत है। लेकिन दो पटरियां अब और बोझ सह सकने में सक्षम नहीं हैं।
  • पटरियों की मरम्मत करने के लिए अक्सर ट्रेनों का संचालन लेकर बंद करना पड़ता है। इसके लिए कभी-कभी लंबे समय के लिए ब्लाक लेना पड़ता है।

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