बिना चीर-फाड़ किए किडनी से निकाला स्टैंड

Tue 18-Jun-2019 3:02 pm
ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में पहली बार हुआ सफल ऑपरेशन…

विशेषतायें…

  • बिना बेहोश किए किया ऑपरेशन
  • इन्फेक्शन हो सकता था
  • दूरबीन नहीं पहुंच पा रही थी

ग्वालियर: जयारोग्य अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग - के चिकित्सक ने पहली बार बिना चीर-फाड़ किए एक युवक के डुप्लेक्स सिस्टम किडनी से उलझे हुए स्टेण्ड को बाहर निकाल दिया। युवक की एक किडनी में बचपन से ही परेशानी थी और सर्जरी विभाग में स्टेण्ड निकाल पाना संभव नहीं था। स्टेण्ड के किडनी में फंस जाने के कारण युवक को असहनीय दर्द होने के साथ ही इन्फेक्शन होने की संभावना थी। इसे देखते हुए सर्जरी के चिकित्सकों ने रेडियोलॉजी विभाग के चिकित्सक डॉ. मनोहर राठौर के पास मरीज को भेजा, जहां पीठ की तरफ से दो एमएम (2mm) का छेद कर स्टेण्ड को बाहर निकाल दिया गया।

ग्वालियर निवासी 30 वर्षीय युवक के सीधे तरफ की किडनी में बचपन से ही डुप्लेक्स सिस्टम था। इसके साथ ही युवक को उसी किडनी में पथरी भी हो गई थी। इसके उपचार के लिए युवक शहर के एक निजी अस्पताल में पहुंचा, जहां पथरी निकाल कर डीजे स्टेण्ड डाल दिया गया, लेकिन कुछ दिनों बाद स्टेण्ड का गुच्छा बन कर किडनी में फंस गया। इसके बाद युवक दुबारा निजी अस्पताल पहुंचा तो युवक को जयारोग्य अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया, जहां सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने युवक की जांच कराई तो पता चला कि किड़नी और पेशाब की थैली के बीच डाला गया स्टेण्ड किडनी में फंस गया है, इसलिए किडनी में डुप्लेक्स सिस्टम होने के कारण स्टेण्ड को बिना फिलेक्सीबल दूरबीन के बाहर निकालना संभव नहीं था।

इस पर चिकित्सकों ने रेडियोलॉजी विभाग के डॉ. मनोहर राठौर से सम्पर्क किया और पूरे कैस की जानकारी दी। इसके बाद डॉ. राठौर ने मरीज की पीठ की तरह से एक छेद कर पतली से ट्यूब किडनी में डाली और सावधानी पूर्वक स्नेयर के माध्यम से स्टेण्ड को बाहर निकाल दिया। डॉ. राठौर ने बताया कि हजारों में कोई मरीज ऐसा होता है, जिसका स्टेण्ड किडनी में फंस जाता है, लेकिन इस मरीज की किडनी भी बचपन से सामान्य नहीं थी, इसलिए स्टेण्ड निकालने में परेशानी हो रही थी। उन्होंने बताया कि यह पहला कैस है, जो रेडियोलॉजी विभाग में किया गया है।

बिना बेहोश किए किया ऑपरेशन…

डॉ. राठौर ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान मरीज को बेहोश भी नहीं किया गया। स्टेण्ड निकालने के लिए जिस जगह छेद किया गया था, सिर्फ उसी जगह को सुन्न किया गया और 20 मिनट में स्टेण्ड बाहर निकाल लिया।

इन्फेक्शन हो सकता था ...

डॉ. राठौर ने बताया कि मरीज की उम्र कम थी और मरीज की किडनी से स्टेण्ड बाहर नहीं निकाला जाता तो उसे इन्फेक्शन होने के साथ ही दुबारा पथरी होने की संभावना थी, इसलिए युवक की उम्र को देखते हुए ऑपरेशन किया गया।

दूरबीन नहीं पहुंच पा रही थी…

सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने बताया कि मरीज की किडनी में डुप्लेक्स सिस्टम था, इसलिए बिना फिलेक्जीबल दूरबीन के डुप्लेक्स सिस्टम में पहुंच पाना संभवन नहीं था, इसलिए मरीज को रेडियोलॉजी विभाग में भेजा गया, जहां ऑपरेशन संभव हो सका।

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