पितृपक्ष 2020 - कब से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध 2020 में?

Thu 27-Aug-2020 11:54 am
क्यों करते हैं श्राद्ध, क्या है इस बार तारीख, सर्वपितृ अमावस्या किस दिन है...

पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों का तर्पण कराते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं| ऐसी मान्यता है कि जो लोग पितृ पक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं कराते, उन्हें पितृदोष लगता है, इससे मुक्ति पाने का सबसे आसान उपाय पितरों का श्राद्ध कराना है, श्राद्ध करने के बाद ही पितृदोष से मुक्ति मिलती है|

पहला श्राद्ध : बुधवार 2 सितंबर 2020
तिथि - पूर्णिमा, जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष के पहले दिन होता है|

महालय अमावस्या/ सर्वपितृ अमावस्या (गुरुवार 17 सितम्बर 2020)
अगर किसी व्यक्ति के देहांत की तारीख याद नहीं है तो उसका तर्पण आश्विन अमावस्या के दिन होता है, इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या या महालय अमावस्या कहते हैं| ऐसे व्यक्ति जिनका किसी न किसी रूप में हमारे जीवन में योगदान रहा है या हमसे कोई न कोई संबध उनके प्रति आभार प्रक्रट करते हुए महालय अमावस्या/ सर्वपितृ अमावस्या को जल अर्पित करते हुए श्राद्ध किया जा सकता है|

अकाल मृत्यु के श्राद्ध
अकाल मृत्यु को प्राप्त होने वाले पितरों के लिए चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध किया जाता है| यदि पिता की अकाल मृत्यु होती है उनका श्राद्ध अष्टमी एवं माता का श्राद्ध नवमी तिथि को करना चाहिए|

तिथियों की पूरी सूची और जानें, किस दिन कौन सा श्राद्ध है...

  • 2 सितंबर 2020 बुधवार, पूर्णिमा श्राद्ध
  • 3 सितंबर 2020 गुरुवार, प्रतिपदा श्राद्ध
  • 4 सितंबर 2020 शुक्रवार, द्वितीय श्राद्ध
  • 5 सितंबर 2020 शनिवार, तृतीय श्राद्ध
  • 6 सितंबर 2020 रविवार, चतुर्थी श्राद्ध
  • 7 सितंबर 2020 सोमवार, पंचमी श्राद्ध / महा भरनी
  • 8 सितंबर 2020 मंगलवार, षष्ठी श्राद्ध
  • 9 सितंबर 2020 बुधवार, सप्तमी श्राद्ध
  • 10 सितंबर 2020 गुरुवार, अष्टमी श्राद्ध
  • 11 सितंबर 2020 शुक्रवार, नवमी श्राद्ध
  • 12 सितंबर 2020 शनिवार, दशमी श्राद्ध
  • 13 सितंबर 2020 रविवार, एकादशी श्राद्ध
  • 14 सितंबर 2020 सोमवार, द्वादशी श्राद्ध
  • 15 सितंबर 2020 मंगलवार, त्रयोदशी श्राद्ध, माघ श्राद्ध
  • 16 सितंबर 2020 बुधवार, चतुर्दशी श्राद्ध
  • 17 सितंबर 2020 गुरुवार, सर्वपितृ / महालय अमावस्या

क्यों करते हैं श्राद्ध, क्या है इस बार तारीख...

पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म को महत्वपूर्ण माना गया है| अगर किसी के ऊपर पितृदोष है तो उसे दूर करने के उपाय भी इन्हीं 16 दिनों के दौरान होते हैं| पितृपक्ष एक जरिया है अपने पूर्वजों के ऋण को उतारने का|

कोई शुभ कार्य नहीं होते...

ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता| यहाँ तक की श्राद्ध के 16 दिन हम कोई नई बस्तु, नए कपडे इत्यादि नहीं खरीदते हैं| पितृपक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक चलता है|

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