केदारनाथ को क्यों कहते हैं - जागृत महादेव?

Tue 18-Sep-2018 8:00 am
Images Courtesy: https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Kedarnath_Temple_-_OCT_2014.jpg
कैसे दिए भगवान् शिव ने अपने भक्त को दर्शन! दो मिनट की ये कहानी रौंगटे खड़े कर देगी.

एक बार एक शिव-भक्त अपने गांव से केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकला। वह पैदल ही निकल पड़ा क्योंकि पहले यातायात की सुविधाएँ तो थी नहीं। रास्ते में जो भी मिलता केदारनाथ का मार्ग पूछ लेता और भगवान शिव का ध्यान करते हुए आगे बढ़ता रहता।

महीनों चलते-चलते वह आखिरकार एक दिन वह केदार धाम पहुँच ही गया। केदारनाथ में मंदिर के द्वार 6 महीने खुलते हैं और 6 महीने बंद रहते हैं। वह उस समय पर पहुचा जब मन्दिर के द्वार बंद हो रहे थे। पंडित जी को उसने बताया वह बहुत दूर से महीनो की यात्रा करके यहाँ पहुंचा हूँ। पंडित जी से प्रार्थना की - कृपा कर के दरवाजे खोलकर प्रभु के दर्शन करवा दीजिये । लेकिन वहां का तो नियम है एक बार बंद तो बंद। नियम तो नियम होता है। बार-बार भगवन शिव को याद किया कि प्रभु बस एक बार दर्शन करा दो। वह रोते हुए सभी से प्रार्थना कर रहा था, लेकिन किसी ने भी नही सुनी।

पंडित जी बोले -- अब यहाँ 6 महीने बाद आना, 6 महीने बाद यहाँ के दरवाजे खुलेंगे। यहाँ 6 महीने बर्फ और ठण्ड पड़ती है इसीलिए छः महीने द्वार बंद रहते हैं। वह वही पर रोता रहा। रोते-रोते रात होने लगी चारो तरफ अँधेरा हो गया।

उसे विस्वास था अपने शिव पर कि वो जरुर कृपा करेगे। उसे बहुत भूख और प्यास भी लग रही थी। उसने किसी की आने की आहट सुनी। देखा एक सन्यासी बाबा उसकी ओर आ रहा है। वह सन्यासी बाबा उस के पास आया और पास में बैठ गया। पूछा - बेटा कहाँ से आये हो? उस ने सारा हाल सुना दिया और बोला मेरा आना यहाँ पर व्यर्थ हो गया बाबा जी। बाबा जी ने उसे समझाया और खाना भी दिया। और फिर बहुत देर तक बाबा उससे बाते करते रहे। बाबा जी को उस पर दया आ गयी। बाबा बोले -- बेटा मुझे लगता है, सुबह मन्दिर जरुर खुलेगा। तुम दर्शन जरुर करोगे।

बातों-बातों में शिवभक्त नींद आ गयी। सूर्य के मद्धिम प्रकाश के साथ उस भक्त की आँख खुली। उसने इधर उधर बाबा को देखा, किन्तु वह कहीं नहीं थे। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता उसने देखा पंडित जी आ रहे है अपनी पूरी मंडली के साथ। उस ने पंडित को प्रणाम किया और बोला - कल आप ने तो कहा था मन्दिर 6 महीने बाद खुलेगा? और इस बीच कोई नहीं आएगा यहाँ, लेकिन आप तो सुबह ही आ गये। पंडित जी ने उसे गौर से देखा, पहचानने की कोशिश की और पुछा - तुम वही हो जो मंदिर का द्वार बंद होने पर आये थे? 6 महीने होते ही वापस आ गए! उस आदमी ने आश्चर्य से कहा - नही, मैं कहीं नहीं गया। कल ही तो आप मिले थे, रात में मैं यहीं सो गया था। मैं कहीं नहीं गया। पंडित जी के आश्चर्य का ठिकाना नहीं था।

उन्होंने कहा - लेकिन मैं तो 6 महीने पहले मंदिर बन्द करके गया था और आज 6 महीने बाद आया हूँ। तुम छः महीने तक यहाँ पर जिन्दा कैसे रह सकते हो? सभी पंडित हैरान थे। इतनी सर्दी में एक अकेला व्यक्ति कैसे छः महीने तक जिन्दा रह सकता है। तब उस भक्त ने उनको सन्यासी बाबा के मिलने और उसके साथ की गयी सारी बाते बता दी। कि एक सन्यासी आया था - लम्बा था, बढ़ी-बढ़ी जटाये, एक हाथ में त्रिशुल और एक हाथ में डमरू लिए, मृग-शाला पहने हुआ था। पंडित जी और सब लोग उसके चरणों में गिर गये। बोले -- हमने तो जिंदगी लगा दी किन्तु प्रभु के दर्शन ना पा सके, तुम सच्चे भक्त हो। तुमने तो साक्षात भगवान शिव के दर्शन किये है। उन्होंने ही अपनी योग-माया से तुम्हारे 6 महीने को एक रात में परिवर्तित कर दिया। काल-खंड को छोटा कर दिया। यह सब तुम्हारे पवित्र मन, तुम्हारी श्रद्वा और विश्वास के कारण ही हुआ है। आपकी भक्ति को प्रणाम।

हर हर महादेव.....

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