शरद नवरात्रि 2023 - जानिए दुर्गा पूजा की विधि और तिथियां

Tue 19-Sep-2023 10:47 am
इस बार अखंड साम्राज्य योग में विराजेंगी दुर्गा मां और हाथी पर सवार होकर आएंगी; पूरे नौ दिन का होगा नवरात्र महोत्सव...

शरदीय नवरात्र 15 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहे हैं, जो २३ अक्टूबर तक चलेंगे। हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्र का शुभारंभ होता है, जो नवमी तक चलता है। इन नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि मां के नौ अलग-अलग रूप हैं।

इस साल नवरात्रि में 9 दिन की पूजा और दशवें दिन विसर्जन का योग बना है। मां दुर्गा हर नवरात्र में अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो इस शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएँगी, सिंह छोड़ माता का हाथी पर सवार होकर आना, बेहद खास माना जाता है. आम आमतौर पर हमें यही पता होता है कि माता सिंह की सवारी करती हैं. आइए आपको बताते हैं कैसे बदलती है माता की सवारी.

जानें कैसे बदलती है माता ही सवारी
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जब रविवार या सोमवार के दिन नवरात्रि की शुरुआत होती है तो मां दुर्गे हाथी की सवारी करती हैं. अगर पहला दिन गुरुवार या शुक्रवार हो तो मां जगदंबा पालकी में आती हैं. वहीं, अगर नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार या शनिवार के दिन से हो तो मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं. जबकि, नवरात्रि अगर बुधवार से प्रारंभ हो तो माता नाव में सवार होकर आती हैं

नवरात्र में होने वाले शुभ कार्य:- शारदीय नवरात्र में हर तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। नवरात्र के नौ दिन बहुत ही शुभ होते हैं। इन दिनों में किसी विशेष कार्य के लिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है। इन खास दिनों में लोग गृह प्रवेश और नए वाहन की खरीदारी कर सकते हैं।
शरदीय नवरात्रि का शुभ मुहूर्त...

इस बार का शरदीय नवरात्रि आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी क‍ि 15 अक्टूबर को पड़ रही है। इसी द‍िन कलश स्‍थापना होगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 30 मिनट तक है। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 9 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 29 मिनट तक है

दिन के अनुसार मां की पूजा की तिथियां...

  • दिन 1 (15 अक्टूबर) - प्रतिपदा घट व कलश स्थापना, मां शैलपुत्री।
  • दिन 2 (16 अक्टूबर) - द्वितीया: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा।
  • दिन 3 (17 अक्टूबर) - तृतीया : मां चन्द्रघंटा की पूजा।
  • दिन 4 (18 अक्टूबर) - चतुर्थी : मां कुष्मांडा की पूजा।
  • दिन 5 (19 अक्टूबर) - पंचमी : मां स्कंदमाता की पूजा।
  • दिन 6 (20 अक्टूबर) - षष्ठी : मां कात्यायनी पूजा और मां सरस्वती की पूजा।
  • दिन 7 (21 अक्टूबर) - सप्तमी : मां कालरात्रि पूजा।
  • दिन 8 (22 अक्टूबर) - अष्टमी : मां महागौरी।
  • दिन 9 (23 अक्टूबर) - नवमी : मां सिद्धिदात्री।
  • दिन 10 (24 अक्टूबर) - दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी पर्व, शस्त्र पूजन।

नवरात्रि के ये 9 रंग हैं खास, इन्‍हें धारण करके करें पूजा...

देवी शैलपुत्री: देवी मां के इस स्‍वरूप को पीला रंग अत्‍यंत प्र‍िय है। इसल‍िए इस द‍िन पीला रंग पहनना शुभ माना जाता है।
देवी ब्रह्मचारिणी: देवी ब्रह्मचारिणी को हरा रंग अत्‍यंत प्र‍िय है। इसल‍िए नवरात्रि के दूसरे दिन हरे रंग का वस्‍त्र धारण करें।
देवी चंद्रघंटा: देवी चंद्रघंटा को प्रसन्‍न करने के ल‍िए नवरात्रि के तीसरे दिन हल्का भूरा रंग पहनें।
देवी कूष्माण्डा: देवी कूष्‍मांडा को संतरी रंग प्र‍िय है। इसल‍िए नवरात्रि के चौथे दिन संतरी रंग के कपड़े पहनें।
देवी स्कंदमाता: देवी स्‍कंदमाता को सफेद रंग अत्‍यंत प्र‍िय है। इसल‍िए नवरात्रि के पांचवे द‍िन सफेद रंग के वस्‍त्र पहनें।
देवी कात्यायनी: देवी मां के इस स्‍वरूप को लाल रंग अत्‍यंत प्रिय है। इसल‍िए इस द‍िन मां की पूजा करते समय लाल रंग का वस्‍त्र पहनें।
देवी कालरात्रि: भगवती मां के इस स्‍वरूप को नीला रंग अत्‍यंत प्र‍िय है। इसल‍िए नवरात्रि के सातवें द‍िन नीले रंग के वस्‍त्र पहनकर मां की पूजा-अर्चना की जानी चाह‍िए।
देवी महागौरी: देवी महागौरी की पूजा करते समय गुलाबी रंग पहनना शुभ माना जाता है। अष्टमी की पूजा और कन्या भोज करवाते इसी रंग को पहनें।
देवी सिद्धिदात्री: देवी मां के इस स्‍वरूप को बैंगनी रंग अत्‍यंत प्रिय है। इसल‍िए नवमी त‍िथ‍ि के द‍िन भगवती की पूजा करते समय बैंगनी रंग के वस्‍त्र पहनने चाह‍िए।

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