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नई दिल्ली: करवा चौथ का व्रत 2019 में गुरुवार 17 अक्टूबर को है। इस व्रत में सूर्योदय से लेकर चांद दिखने तक निर्जल व्रत रखना होता है। इसलिए व्रत रखने वाली महिलायों को चांद के उदय होने का बेसब्री से इंतजार रहता है।
इस बार करवा चौथ पर पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 36 मिनट से लेकर 8 बजकर 36 मिनट तक होगा।
करक चतुर्थी व्रत या करवाचौथ के दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा और रोहिणी नक्षत्र में उदय होगा। साथ ही वृषभ राशि में चंद्रमा व वृश्चिक राशि में गुरु होने से गजकेसरी योग बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र व मंगल का योग इस दिन को मंगलकारी बनाएंगे। सत्यभामा और मार्कण्डेय योग का भी संयोग इस दिन रहेगा, जो शुभ फलदायी है। यह योग 70 साल बाद बन रहा है। यह शुभ संयोग श्रीकृष्ण व सत्यभामा के मिलन के समय और उसके बाद कभी-कभी बनता रहा है।
करवा यानी घड़े से ही सीताजी जगत में आई थीं। सुहागिन स्त्रियों के लिए करवाचौथ का व्रत विशेष महत्व रखता है। करवाचौथ का व्रत चंद्र दर्शन के साथ संपन्न होता है। माता जानकी का जन्म भी पृथ्वी की कोख से हुआ था। वे भगवान श्रीराम की धर्मपत्नी बनीं। इसी कारण करवा का महत्व है।
करवा चौथ के व्रत से पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें। पूजन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे।