हनुमान जयंती 2020 - हनुमान चालीसा

Fri 03-Apr-2020 2:00 pm
2020 में हनुमान जयंती बुधवार 8 अप्रैल को है और जानिये कैसे करें हनुमान जी की पूजा...

हनुमान जन्मोत्सव एक हिन्दू पर्व है। यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था| इस वर्ष हनुमान जयंती बुधवार 8 अप्रैल 2020 को है।

हनुमान जयंती पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड पाठ को पढ़ना भी हनुमानजी को प्रसन्न करता है। सभी मंदिरो में इस दिन तुलसीदास कृत रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा का पाठ होता है। तमिलानाडु व केरल में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन मनाई जाती है। वहीं कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख महीने के 10वें दिन तक यह त्योंहार मनाया जाता है।

हनुमान की पूजा की विधि...

हनुमान जी को शिव का 11वाँ रूद्र अवतार माना जाता है। हनुमान जयन्ती को लोग हनुमान मंदिर में दर्शन हेतु जाते है। कुछ लोग व्रत भी धारण कर बड़ी उत्सुकता और जोश के साथ समर्पित होकर इनकी पूजा करते है। चूँकि यह कहा जाता है कि ये बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए इन्हे जनेऊ भी पहनाई जाती है। हनुमानजी की मूर्तियों पर सिंदूर और चांदी का वर्क चढाने की परम्परा है। कहा जाता है राम की लम्बी उम्र के लिए एक बार हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिंदूर चढ़ा लिया था और इसी कारण उन्हें और उनके भक्तो को सिंदूर चढ़ाना बहूत अच्छा लगता है। संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर मन्त्र जाप करने को अत्यंत महत्त्व दिया जाता है।

हनुमान का नामकरण...

इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शंकर सुवन आदि।

हनुमान चालीसा...

दोहा...

श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।।

चौपाई...

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥
महावीर विक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे । काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
शंकर सुवन केसरी नंदन । तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥
विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचंद्र के काज सँवारे॥१०॥
लाय संजीवन लखन जियाए । श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै । अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कवि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा । राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना । लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू । लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लाँघि गए अचरज नाहीं॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे । होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै । महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा । तिन के काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई । जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई । हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
जै जै जै हनुमान गोसाई । कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहिं बंदि महा सुख होई॥३८॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥

दोहा....

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

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